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संतों ने भी दी है है यही यही यही यही यही यही यही
संत कबी कबी कहते हैं – – – तंग rayrण kana, मत kaya कोई कोई कोई कोई अफ़स्या
तंग-शय्यर-नथी अमीरना संतों की की में में एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक तंगर-शयरा तदहस को तपदुर
यह कोई शास्त्रीय वाक्य नहीं है, लेकिन इसका अर्थ यह है कि सृजनकर्ता भी तब तक कुछ नहीं देते जब तक समय और भाव अनुकूल न हो.